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how to start self love and care

"how to start self love and care"



how to start self love and care
how to start self love and care 

     हेलो दोस्तो, केसे है आप सब ! आशा आप सब ठीक होंगे। किसी महान इंसान ने  कहा है की अगर कुछ सीखना हो तो पहले खुद को समझो । "how to start self love and care" महसूस करो।  खुद की केयर करो । खुद से प्यार करो।  दुनिया अपने आप खूबसूरत हो जाएगी।

      तो आज हम बात करने वाले हैं। सेल्फ केयर के बारे में क्योंकि यह भी हमारी जिंदगी का  महत्वपूर्ण हिस्सा है, इस के माध्यम से आप अपनी ज़िन्दगी में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। खुद को समझ सकते हैं। खुद के यार खुद बन सकते है। जिस से जुडी मुझे एक कविता याद आ रही है । आप को सुनाये। चलो सुना ही देते है। 

                 "  poetry"
[   महफिल वही जमी जहां दोस्त हो सही... मुकद्दर और साहिल की दोस्ती थी नइ ...
मैंने मंजिल से पूछा तू उदास क्यों है?
मैंने मंजिल से पूछा तो उदास क्यों है?
उसने पहले लंबी सांस ली ...!
फिर बोली ....
मुझ तक पहुंचने वाले तो बहुत हैं ...
पर ,पास कोई नहीं ...
मुझ तक पहुंचने वाले तो बहुत है...
पर पास कोई नहीं...
मेरी ख्वाहिश रखने वाले तो हर कोई है...
पर ,यार कोई नहीं... मेरा यार  कोई नहीं...
                                   
                           –PS  rajput         ]          

       अर्थात् हमे पहले खुद का यार बनना होगा, खुद से प्यार करना होगा । तभी तो हम सब को यह एहसास दिला पाएंगे ।
               poetry 
[    यु तो निखरते सभी हैं ...
पर, बिखर कर निखारने वाले,
बहुत खास होते हैं...
जिंदगी तो सब जीते हैं पर,
 जो खुद पर भरोसा रखते हैं...
 वह कहां किसी के सहारे के मोहताझ होते हैं...         
                               PS rajput ...]

         अब आप भली भांति परिचित हो गए होगे इस बात से  तो चलिए आगे बढ़ते है। जिसे हम कुछ मुद्दो में विभाजित कर देगे । जिसे हमें समझने में आसानी होगी। 

1. स्वयं-प्रेरणा: 


    अपने लक्ष्य यानी कि मंजिल की प्राप्ति के लिए हमे स्वयं को प्रेरित करना है । अपना मनोबल बढ़ाना चाहिए।
                    " poetry "
[ खुले आकाश में, उम्मीदों के साथ में...
प्रेम के एहसास में ,दिल के विश्वास में... राह पर चलते रहे मंजिल की तलाश में...
                             PS rajput ...      ]

2. स्व-समर्थन: 

     अपने क्षमता शक्ति पर भरोसा करना और स्वयं को सामर्थ   वान  मानना होगा । हमेशा अपने मन में  " I can do it " की भावना रखनी होगी। 

3. लक्ष्य-निर्धारण: deside your goal

    स्पष्ट और यथासंभाव लक्ष्यों का निर्धारण करना। 
– "याद रखे आप को राह ,
  बदलनी है मंजिल नहीं..."


4. समय-प्रबंधन: 

    समय का ठीक से प्रबंधन करना और प्राथमिकताओं को साकारात्मक रूप से निभाना। 
यानी की यहां पर, my life,my rules नही चलेगा बल्कि, right time, right rules होगा। 

5.आत्म-विश्वास:  believe in yourself
   
     अपनी क्षमताओं पर विश्वास करना और निरंतर आत्म-सुधार में लगे रहना होगा ।

6. संघर्ष-सामर्थ्य: 

   जीवन के विभिन्न पहलुओं में संघर्ष को सामर्थ्य यानी कि ताकत में बदलना।

 7. सकारात्मक मंत्र: 

    सकारात्मक मंत्रों का प्रयोग कर के मनोबल को बढ़ाना। अपनी सोच को सकारात्मक बनाना होगा । हमेशा पॉजिटिव सोचना होगा।

8. अध्ययन और सीखना: 

   नए ज्ञान का प्राप्ति कर के अपने आत्म-विकास में लगे रहना। 
यानी की हमेशा कुछ ना कुछ नया सीखना होगा और उसे अपनी खूबी बनाना होगा। 

9. स्वास्थ्य का ध्यान:

    नियमित व्यायाम और स्वस्थ आहार का पालन करना। यानी हमें घर का स्वच्छ और स्वस्थ भोजन करना होगा और व्यायाम में भी ध्यान देना होगा ।
 
10. सहानुभूति: 

    अन्यों के प्रति सहानुभूति  बनाए रखना और सहयोग करना। मानवता दिखानी होगी । अपने साथ अन्यो के दर्द को समझना होगा।

11. स्वयं-समीक्षा:

    अपने कौशल और कमजोरियों का समीक्षा करना और सुधारने का प्रयास करना।  
    यानी कि हमें अपनी खासियतों को और भी बेहतर करना होगा और अपनी गलतियों को से सीखना होगा ।

12. आत्म-निगरानी: 

    अपने विचारों और क्रियाओं की निगरानी रखना।  गलत तरीके और आदतो को सुधारना होगा। 

13. उत्साह: 
   जीवन में उत्साह और ऊर्जा को साथी बनाए रखना है। किसी भी काम को पूरे उत्स हा और मां के साथ करना है। 

14. संबंध-निर्माण:

     सकारात्मक संबंध बनाए रखना और समर्थन प्राप्त करना। यानी कि हमें अपने हर अल्फाज को सोच समझ कर बोलना चाहिए। 

15. उदारता: 

    अपने स्थान पर और दूसरों के साथ उदार और समझदार रहना है ।

16. संघटन क्षमता: 

 स्थितियों का सही तरीके से संघटन करना और हल निकालना। यानी कि हमें कभी भी ऐसे ही किसी निष्कर्ष पर नहीं आना चाहिए। पहले स्थिति को समझना चाहिए । फिर ही कुछ कहना चाहिए ।

17. स्वीकृति: 

   अपनी कमजोरियों को स्वीकार करना और उन्हें सुधारने की कोशिश करना है।       जैसे कि आपने बहुत बार यह सुना होगा कि अपनी गलती मानने वाला कभी छोटा नहीं होता। पर , मानना तो कोई नहीं चाहता ना ... पर,  हमे यह करना होगा । 


18. स्व-संरचना:

    अपने आत्म-निर्माण के लिए नियमित रूप से काम करना। खुद की एक ऐसी छवि बनानी होगी ।  जो हर की आइडल बने। जैसे संदीप महेश्वरी जी...

19. आत्म-प्रेम: 
 
   खुद से प्रेम करना होगा और अपने क्षमताओं को मूल्यांकित करना है। उन्हें समझना चाहिए। 

20. साहस: 

   सभी परिस्थितियों में साहस दिखाना  और आगे बढ़ने का साहस करना चाहिए। 

    तो  ये कुछ मुद्दे जिसे हम खुद को समझ सकते है । साथ ही और भी बेहेतर बना सकते है।  अब हम बात करेंगे  खुद से प्यार  के बारे मे थोड़ा गहराई से अध्ययन करते है। तो फिर चलिए...
 
       खुद से प्यार आत्म-समर्पण की ऊँचाइयों की दिशा में

    आत्म-प्रेम, या खुद से प्यार, जीवन का सब से महत्वपूर्ण और अद्वितीय पहलुओं में से एक है। यह वह आधार है ।  जिस पर एक सुखी और समृद्ध जीवन निर्मित हो सकता है। खुद से प्यार करना एक अद्वितीय साहस है ।  जो हमें अपने आत्मा की महत्व  को समझने में मदद करता है। 

★ आत्म-प्रेम का मतलब
    आत्म-प्रेम का मतलब है । अपने आत्मा को स्वीकार करना, उस से प्यार करना और खुद को मूल्यांकित
 ( समझना) करना। यह एक सकारात्मक सोच और आत्म-समर्पण का परिचायक है ।  
     जो हमें अपनी सच्ची पहचान से जोड़ता है। खुद से खुद को रुबरु करवाता है। प्रेम की इतनी बात हो रही है तो एक कविता प्रेम के लिए तो बनती है।
  
                " poetry "
[ प्रेम कभी पूरा होता है क्या...?
मिले उतना कम लगता है ...!
वह खुद में ही अधूरा है ...
पर, पूरी करामात करता है...
ढाई अक्षर का है ।
पर ,बिना प्रेम जिंदगी अधूरी होती है ।
पूरी, तो जिंदगी भी नहीं होती...
तो प्रेम कहां से पूरा हो होगा..!   
                       PS rajput...           ]

           आज की दुनिया हर काम में कुछ ना कुछ फायदा देखते है। तो कुछ फायदे इस के भी है । तो चलो देखते है। 

★ खुद से प्यार करने के लाभ 

1. आत्म-समर्पण:

   खुद से प्यार करना  । आत्म-समर्पण की भावना को बढ़ाता है ।  जिस से जीवन के लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायक होता है।

2. आत्म-समझदारी:

   आत्म-प्रेम से आत्मा को समझने में मदद मिलती है, जिस से व्यक्ति अपनी क्षमताओं और कमजोरियों को समझ सकता है।

3. आत्म-विकास:

    खुद से प्यार करने से आत्म-विकास में रुचि बढ़ती है और व्यक्ति नए कौशलों को सीखने के लिए उत्साहित होता है।

4. स्वास्थ्य का सुरक्षित रखना:

   आत्म-प्रेम से आत्मा को स्वास्थ्यपूर्ण चौंकीले मोड़ों में भी समर्थन मिलता है।

5. आत्म-विश्वास:

    खुद से प्यार करने से आत्म-विश्वास बढ़ता है, जो जीवन की मुश्किलों को पार करने में सहायक होता है।

 आप के लिए हमने कुछ तरीके खुद से प्यार करने के बताए है।

1. स्वीकार करें:

     खुद को ऐसा स्वीकार करें जैसा आप है और अपनी अनगिनत पहलुओं को स्वीकार करें।

2. समय दें: 

   अपने साथ बिताए गए समय की महत्वता को समझें और अपने आत्मा को समर्पित करें।

3. स्वास्थ्य का ध्यान रखें:

   नियमित योग और स्वस्थ आहार के माध्यम से अपने शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें।

4. सीखें और बढ़ें:

   नए कौशल सीखें और खुद को समृद्धि में सहायक बनाने के लिए प्रयास करें।
स्वयं से मिले आनंद का मजा लें खुद से  खुद को महसूस करे ।

   अभी  करे शुरुआत...और अगर मन में है कोई भी सवाल या बवाल तो तुरंत कमेंट कीजिए । या हम से कांटेक्ट कीजिए । हम पूरी कोशिश करेंगे। आप के हर सवाल , हर उलझन को सुलझाने की ।
    
      आशा करती हूं । यह जानकारी आप को ये पसंद आई होगी । अगर इस के अलावा ,आप किसी भी चीज के बारे में जानना चाहते हैं या फिर पोस्ट चाहते हैं । 
     बिना सोचे समझे । तुरंत कॉमेंट करे । मैं पूरी कोशिश करुंगी कि मैं आप के हर सवाल का जवाब दे सकूं । शब्दो का एहसास अलग अंदाज पर आपका बहुत-बहुत स्वागत है। 🙏🙏🙏....

" have a great time "
" PS Rajput "







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