कविता नंबर:2
आज हम बात करने वाले हैं। एक ऐसी कविता के बारे में जिस में लेखक खुद अपने दिल का हाल बयां कर रहा है। जिस में वह अपनी जिंदगी और उस में चल रही बातों के बारे में कहना चाहता है।
तो चलिए देखते हैं। आशा करते हैं ।आप को यह कविता पसंद आएगी ।ऐसी और कविताएं पढ़ने के लिए हमारे साथ जुड़े रहे ।
" एक लेखक सिर्फ लेखक नहीं ..."
एक ऐसा सर्जक होता है...
जो एक आम जिंदगी जीता है...
पर , भाव हजारों कहता है....
पर ,भाव हजारों कहता है...
कभी अश्कों से रोता है...
तो कभी शब्दों से आंचल भीगोता है...
ऐसा नहीं कि प्रेम नहीं करता,
बस फर्क सिर्फ इतना है...
कि वह अपने इस कलम से...
मांझी हो या रांझा ,वैरागी हो या वाल्मीकि ,
हर किरदार वो बुनता है...
सीख तो दे जाता है ...
फिर भी उदाहरण समझाता है...
वो ना ही गरीब होता है....
ना शोहरत का ताज पहनता है....
बस, एक कागज और कलम से ...
उम्मीदों का ख्वाब वो बुनता है...
लेखक सिर्फ लेखक नहीं...
एक ऐसा सर्जक होता है... !
जो एक आम जिंदगी जीता है ...!
पर , भाव हजारों कहता है ...!
पर ,भाव हजारों कहता है....!
PS rajput...
Kavita : 2.1
– यह कविता एक इंसान की मजबूरी को दर्शाती है और हमें यह समझता है ।की जब बार-बार हम जीत की दहलीज पर आकर भी हार जाते हैं।
जब हमें अपने लिए नहीं अपनों के लिए जीना पड़ता है । तो कितनी तकलीफ होती है । तो चलिए देखते हैं और हां आशा है कि आपको पसंद आएगी।
ऐसी और कविताएं पढ़ने के लिए या फिर अपने पसंद की या अपने भाव को दर्शाती हुई कविता पढ़ने के लिए भी हमें कमेंट करें ।
–आपकी इच्छाओं का सम्मान किया जाएगा ।
" मजबूरी "
एक इंसान को भी अपने,
सपने छोड़ने पड़ते हैं...
अपने सपनो से मुंह मोड़ने पड़ते है...
जब मंजिल नाराज होती है...
तो ताज भी बोझ बन जाता है...
जिंदगी का हर किस्सा आंसू बहाता है...
हर उम्मीद टूट सी जाती है ...
खुशियां मानो रूठ सी जाती हैं ...
हर रास्ता दीवार बन जाता है ...
जहां रोशनी तो नहीं,
सिर्फ अंधेरा नजर आता है...
सिर्फ अंधेरा नजर आता है...
PS Rajput...
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